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साइटिका रोग में एक तेज़ दर्द कमर से होता हुआ पैरों तक बहुत पीड़ा देता है जिसे साइटिका पेन भी कहते हैं | वास्तव में हमारे शरीर में स्थित स्याटिक नर्व इस दर्द का केंद्र है , जिस कारण इसका नाम साइटिका पड़ा | साइटिका से पीड़ित रोगी को चलने -फिरने तथा उठने बैठने में बहुत ही तकलीफ का सामना करना पड़ता है | यहाँ तक की खाँसने , छीकने अथवा पैर में जरा सा झटका लगने पर भी असहनीय पीड़ा होती है | एकदम से ज्यादा बोझ उठाने पर , स्लिप डिस्क होने पर, अधिक तनाव के कारण या दुर्घटना के कारण साइटिका होता है |
उपचार एवं नुस्खे -
आलू -
1 गिलास कच्चे आलू का रस 2 महीनों तक सेवन करने से इस रोग से निजात मिलती हैं | अगर इसमें गाजर का रस मिला लिया जाये तो प्रभाव और बढ़ जाता है |
लहसुन -
लहसुन साइटिका के दर्द में काफी लाभप्रद है | 150 ग्राम गाय के दूध में 4-5 लहसुन की बारीक काटी हुई कलियाँ मिलाकर अच्छी तरह उबाल लें या इसकी खीर बना लें | इस प्रयोग को दो तीन महीने करने से साइटिका में भरपूर फायदा मिलता है | आप चाहें तो खाली पेट सुबह 4-5 लहसुन की कली को कच्चा चबा कर निगल लें , तो भी फायदा मिलेगा |
नींबू -
1 नींबू के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर , रोज सेवन करें | जब तक आराम न मिले यह प्रयोग जारी रखें |
कुचला -
कुचला साइटिका में बेहद उपयोगी औषधि है | शुद्ध कुचला में सामान मात्रा में सोंठ मिला कर छोटी छोटी गोली बना लें | सुबह शाम दूध से लें |
विशेष नोट - कुचला का प्रयोग करने से पहले एक बार अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श करें । कुचला के प्रयोग से कभी कभी कुछ दिक्कते होने लगती हैं ।
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