अर्जुन के पेड़ की ताजा छाल को छाया में सुखा लें और इसको सूख जाने के बाद चूर्ण बना लें और एयरटाईट डब्बे में बंद करके रखें । गाय के 250 मिलीलीटर दूध में इतना ही पानी मिलाकर हल्की आग पर पकने के लिये रख दें । इस दूध में 3 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण मिला दें और उबालें । जब उबलते उबलते केवल आधा बचे अर्थात 250 मिलीलीटर बचे तो आग पर से उतार लें और पीने लायक ठण्डा होनें पर साफ सूती कपड़े से छान कर रोगी को पिलावें । यह विशेष दूध पीने से लगभग सभी तरह के हृदय रोग नष्ट होते हैं और दोबारा हार्ट अटैक आने से बचाव होता है । इसमें कुछ मीठा नही मिलाना है । इसका स्वाद अर्जुन की छाल की वजह से थोड़ा अटपटा सा लग सकता है किन्तु ध्यान रखें कि इसका सेवन औषधि के नजरिये से किया जाना चाहिये । इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दूध देशी गाय का होना चाहिये ।
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सेवन विधी और काल :-
रोज एक बार सुबह खाली पेट लेना चाहिये और इसके सेवन के बाद 2 घण्टे तक कुछ और सेवन ना करना ज्यादा लाभ देता है । प्रारम्भ में एक महीने तक लगातार सेवन करें उसके बाद एक महीने का अन्तर करके पुनः एक महीना सेवन करें । इसके बाद दो महीने का अन्तर करके फिर एक महीने सेवन करें । फिर तीन महीने का अन्तर करके फिर से एक महीने तक लगातार सेवन करें । इस सम्पूर्ण चक्र के बाद हर महीने के प्रारम्भ में तीन से पाँच दिन तक सेवन करना पर्याप्त रहता है ।
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