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बैंकों की 50% ब्रांच हो जाएंगी बंद, आपके अकाउंट पर ऐसे होगा असर

बैंकों की 50% ब्रांच हो जाएंगी बंद, आपके अकाउंट पर ऐसे होगा असर


सरकार लगातार बैंकिंग सेक्‍टर में अलग - अलग तरह के प्रयोग कर रही है। इसी कड़ी में सरकार अब जल्‍द ही  सरकारी बैंकों की 50 फीसदी ब्रांच को बंद कर सकती है। इसका सबसे ज्यादा असर छोटी ब्रांच और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर पड़ सकता है।  मोदी सरकार के इस नए फैसले से संभवत: आपका बैंक अकाउंट भी प्रभावित हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि क्‍यों  बैंकों के ब्रांच बंद हो रहे हैं और इसका कैसे आपके बैंक अकाउंट पर असर पड़ेगा। 


प्रपोजल

दरअसल, फाइनेंस मिनिस्ट्री बदलते टेक्नोलॉजी के दौर में ब्रांच बैंकिंग पर डिपेंडेंसी कम करना चाहती है। जिसके लिए उसने बैंकों से कहा है कि वह अपनी ब्रांचेज की प्रॉफिटिबिलिटी चेक करें। जिसमें देश की ब्रांचेज के साथ-साथ विदेश की ब्रांचेज भी शामिल होंगी। 

सरकारी बैंकों की 95 हजार ब्रांचेज 


देश में इस समय सरकारी बैंकों की करीब 95 हजार ब्रांचेज हैं। जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की 20 हजार ब्रांचेज शामिल है। हालांकि सरकार के इस कदम पर कर्मचारियों में काफी गुस्‍सा है। उनका कहना है कि सरकारी बैंक की ब्रांचेज प्रॉफिटेबल हो सकती है, लेकिन उन्हें इसके लिए प्रोफेशनल रुप से बैंकिंग सर्विसेज देनी होगी। सरकार उनके जरिए सभी सोशल स्कीम भी चलाती है और बाद में उनसे कॉरपोरेट के तरह व्यवहार कराना भी चाहती है!

अकाउंट पर ऐसे होगा असर

अगर आपका बैंक अकाउंट इन बंद होने वाली ब्रांचेज में शामिल है तो सरकार के इस फैसले का असर आप पर भी पड़ने वाला है। दरअसल, आपका अकाउंट, उसी बैंक के किसी नजदीकी ब्रांच में शिफ्ट कर दिया जाएगा। पंजाब एंड सिंध बैंक के रिटायर्ड सीजीएम जीएस बिंद्रा ने बताया कि ऐसी स्थिति में  आपका अकाउंट उसी बैंक के नजदीकी ब्रांच में शिफ्ट हो जाएगा। उन्‍होंने ये भी बताया कि आपके पासबुक और चेकबुक जैसे डॉक्‍यूमेंट पुराने ही चलते रहेंगे


बैंकों को सरकार देगी 2 लाख करोड़
सरकार ने हाल ही में बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए के रीकैपिटलाइजेशन प्लान को मंजूरी दी थी। बैंकों को यह पैसा 2 साल में दिया जाना है। इसमें 1.35 लाख करोड़ का रीकैपिटलाइजेकशन बॉन्ड लाया जाएगा, वहीं, 76 हजार करोड़ रुपए बजट और बाजार से जुटाए जाएंगे। इसमें से बाजार से 58000 करोड़ जुटाने हैं। 18 हजार करोड़ रुपये इंद्रधनुष योजना के तहत दिए जाएंगे। सी के तहत बैंक सरकारी की हिस्सेदारी कम करने की योजना में हैं।