सरल शब्दों में कायाकल्प का अर्थ होता है काया को नया जीवन देना । रोगों से बेकार हुये, और दूषित खान-पान यथा शराब आदि के सेवन से बेकार हो चुके शरीर को नया बल देने में यह काया कल्प प्रयोग बहुत ही उत्तम समाधान है । विशेष बात यह है कि जरूरी नही रोगी ही इसका सेवन करें, बॅळ्की ईसकों स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन कर सकते हैं । पाइये जानकारी प्रकाशित आयुर्वेद, मेरठ के सौजन्य से ।
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ताजे, सुपक्व ऑवलें को लेकर ताजे जल से धोकर 3-4 ऑवलों को कद्दूकस पर घिस लें और कसे हुये ऑवले को सूती कपड़े में रखकर 15 मिलीलीटर रस निकाल लें । इस रस में 15 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करें । इसका सेवन प्रातः खाली पेट कुछ हल्का-फुल्का व्यायाम करने के बाद किया जाना चाहिये और फिर दो घण्टे तक कुछ नही खाना चाहिये, थोड़ा गुनगुना पानी पी सकते हैं । ताजे ऑवले के मौसम में इसको लगातार दो महीने तक सेवन करना चाहिये । सभी रोगों से बचे रहने के इच्छुक लोगों के लिये और रोगों से कमजोर हुये शरीर को पुनः बलशाली बनाने के लिये यह साधारण प्रयोग किसी अमृत से कम नही होता है ।
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अन्य रोगों में लाभ :-
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1 :- इसके सेवन से वीर्य समबन्धी रोग नष्ट होते हैं और पेशाब में धातु जाने की समस्या में भी परम लाभदायी सिद्ध होता है ।
2 :- इस प्रयोग से आमाशय को बल मिलता है और शरीर में नये रक्त का निर्माण होता है ।
3 :- इसके सेवन काल में यदि पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन किया जाये तो सम्पूर्ण वर्ष व्यक्ति पूर्ण क्षमता से स्त्री समागम के काबिल हो जाता है ।
4 :- मासिक की अनियमितता और कष्ट में इसका सेवन करने से बार बार डॉक्टर के पास जाने की आवश्यक्ता नही पड़ती है ।
5 :- आचार्य चरक का मानना है कि जगत में जितनी भी रसायन औषधियाँ हैं उनमें से ऑवला सर्वश्रेष्ठ होता है । महर्षि च्यवन द्वारा बनाया गया मुख्य योग च्यवनप्राश भी ऑवलें से ही प्रमुख रूप से बनाया जाता है ।